भवनाथपुर(गढ़वा)। सरस्वती विद्या मंदिर भवनाथपुर में आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के अवसर पर गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत स्कूल की भैया-बहनों द्वारा आचार्यों के पाव धो कर और उनका आशीर्वाद लेकर किया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य ब्रजेश कुमार सिंह ने आचार्यों को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य अर्थात जो आचरण से शिक्षा देते हैं। इस आचार्य पद की गरिमा को बनाए रखने की आवश्यकता है। एक कहानी के माध्यम से गुरु का जीवन में महत्व जीवन विकास के लिए भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। इन्हीं की प्रेरणा से आत्मा चैतन्यमय बनती है। गुरु भवसागर पार पाने में नाविक का दायित्व निभाते हैं। वे हितचिंतक, मार्गदर्शक, विकास प्रेरक एवं विघ्नविनाशक होते हैं। उनका जीवन शिष्य के लिये आदर्श बनता है।विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य राकेश सिन्हा ने विद्यालय के भैया-बहनों को गुरु पूर्णिमा की विशिष्टता और गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु के द्वारा ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। उसकी वाणी और उसकी पुस्तक ही शिष्य का मार्गदर्शन करती है, इस गुरु पूर्णिमा उत्सव कार्यक्रम में विद्यालय के सभी आचार्य उपस्थित रहे।
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