सगमा(गढ़वा)/विनोद मिश्रा
प्रतिबंधित पौधशाला क्षेत्र से कीमती लकड़ी का अंधाधुंध कटाई हो रहा है। जिससे से वन क्षेत्र के अस्तित्व पर संकट गहराते जा रहा है। इसके बाद भी विभाग द्वारा कारवाई नहीं होने से विभाग पर प्रश्न चिन्ह लगना लाजिमी है।
विदित हो की सगमा प्रखण्ड के मकरी गांव स्थित पौधशाला क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में कीमती शीशम का पेड़ लगा हुआ है। जिसे वन विभाग में प्रतिबंधित मकरी पौधशाला के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र बिलासपुर धुरकी मुख्य पथ पर अवस्थित है। उक्त पौधशाला में यूकेलिप्टस के साथ शीशम का पेड़ लगा हुआ है। इस वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए वन समिति भी बना हुआ है।
इस संबंध में मकरी के ग्रामीणों का कहना है की पूर्व में इस जंगल से इक्का दुक्का शीशम का पेड़ कटाई होता था। वन क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर वन रक्षी को भी पदस्थापित किया गया है। लेकिन इसके बाद लगातार शीशम का पेड़ अंधाधुंध तरीके से कटाई हो रही है। इस संबंध में पूछने पर वन समिति अध्यक्ष के कहना है की लकड़ी कटाई की सूचना विभाग के पास दिया जाता है। मगर इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से पेड़ काटने वालो की संख्या लगातार बढ़ते जा रहा है। स्थिति यह है की पूरा वन क्षेत्र खोखला होते जा रहा है। जबकि प्रतिदिन वन रक्षी अरुण कुमार पौधशाला में आकर खानापूर्ति खाना पूर्ति करते हैं। जल्द ही कटाई पर रोक नहीं लगता है तो जंगल का अस्तित्व ही मिट जाएगा।
स्थानीय ग्रामीणों ने तत्काल इस पर रोक लगाने की मांग किया है।
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