इमरान खान पर हुए हमले का क्या है इस्लाम कनेक्शन, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

नेशनल डेस्क/हिंदुस्तान की आवाज़
इमरान खान पर हुए हमले से पाकिस्तान में गृह युद्ध की स्थिति बन गयी है। यह हमला पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो पर हुए हमले की याद दिला रही है। लेकिन इन सबके बीच पाकिस्तान में सत्ताधारी दल के लोग इस हमले को लेकर जिस तरह का बयानबाजी कर रहे हैं, वह इस घटने को पूरी तरह राजनीति में तब्दील कर दिया है। सत्ता धारी दल के लोग इस घटना को लेकर इमरान खान की पार्टी की पंजाब प्रांत की सरकार पर निशाना साध रहे हैं। पाकिस्तान की सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि जिस जगह यह घटना घटी है, वह पंजाब प्रांत में पड़ता है। पंजाब पर इमरान खान की पार्टी ही सत्ता में है। ऐसे में पंजाब प्रांत की सरकार की सुरक्षा और इंटिलिजेन्स का यह फेलियर है। साथ ही उन्होंने इशारों-इशारों में इमरान खान को भड़काऊ भाषण को भी इसके लिए जिम्मेवार माना है। कहा कि अपनी बातों को रखने के लिए शब्दो का चयन सही होना चाहिए।

पीटीआई से जुड़ा रहा है हमलावर

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इमरान खान पर हुए हमले के बाद एक हमलावर को समर्थकों ने दबोच लिया था। हमलावर का नाम फैजान भट्ट है। उसने अपने बयान में कहा कि वह इमरान खान को मारना चाहता था। वह इमरान खान द्वारा निकाले जा रहे लांग मार्च से परेशान था। इमरान खान के लोग अजान के समय डीजे बजा रहे थे। जो इस्लाम के खिलाफ था। जिसके कारण उसने इमरान खान को मारने का फैसला किया था। हालांकि पुलिस सहित आम लोगो को उसके इस बयान पर विश्वास नही हो रहा है।

पीटीआई ने लगाया तीन लोगों पर आरोप

इमरान खान पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान में सियासी भूचाल आया हु है। पीटीआई के नेताओ ने तीन लोगों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। इसमें पीएम शहबाज शरीफ, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और आर्मी के एक कमांडर का नाम शामिल है। इमरान ने अपने नेताओं से बयान दिलवाया है कि इन तीनो को अगर अपने पद से हटाते हुए सजा नही दी जाती है तो देश की हालत खराब होगी और इसके लिए सत्ताधारी दल जिम्मेवार होगा।

28 अक्टूबर से 4 नवंबर तक होना था लांग मार्च

इमरान खान जब से सत्ता से हटे है, तबसे वे सरकार के खिलाफ लगातार मुखर रहे है। सरकार को बेदखल करने के लिए लगातार आंदोलन कर रहे है। 28 अक्टूबर से वे लाहौर से लांग मार्च कर रहे थे। जिसके तहत वे आमलोगों से सरकार को बेदखल करने और मध्यावधि चुनाव की मांग कर रहे थे। उनकी इस मार्च में लोगो की भारी सहभागिता सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रही थी। 4 नवंबर को उनका मार्च राजधानी पहुंचना था। लेकिन तीन तारीख को हमले से पाकिस्तान में सियासी भूचाल आ गया। पूरे देश मे जगह-जगह प्रदर्शन होने लगे।

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