गढ़वा: गढ़वा जिला परिषद के चुनाव में झामुमो का डंका बजा है। जिले में पहली बार जिला परिषद के चुनाव में झामुमो को सफलता हाथ लगी है। जबकि अब तक जिले में अपना दबदबा कायम रखने वाली भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। सूबे के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सह गढ़वा विधायक मिथिलेश कुमार ठाकुर ने गढ़वा जिला परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद पर झामुमो समर्थित प्रत्याशी की जीत दिलाकर जहां पार्टी को जिले में और मजबूत बनाने एवं अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल हुये हैं। वहीं राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा को बड़ा झटका लगा है।
आत्ममुग्धता की शिकार होने के कारण हुई भाजपा की हार
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक एक सासंद, तीन विधायक भानु प्रताप शाही, रामचंद्र चन्द्रवंशी और आलोक चौरसिया एवं दो पूर्व मंत्री रामचंद्र केसरी और गिरिनाथ सिंह, एक पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी, पूर्व प्रत्याशी अलखनाथ पांडेय जैसे दिग्गजों के साथ साथ संगठन की जंबो टीम होने के बाद भी इतनी बुरी स्थिति भाजपा के आत्ममुग्धता के शिकार होने के कारण हुई है।
मतलब बूथ से लेकर जिला तक भाजपा के पास एक बड़ा कुनबा होने के बाद भी पार्टी समर्थित अधिकांश प्रत्याशी चुनाव हार गये। अलबत्ता कमोबेश हर सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को भीतरघात और बड़े कद के नेताओं की उपेक्षा के कारण पराजय का मुंह देखना पड़ा। जो प्रत्याशी जीते उन्हें अपने बल बूते लड़कर जनादेश हासिल करना पड़ा।
उधर आत्मविश्वास से लबरेज झामुमो नेताओं और कार्यकर्ताओं ने 45 डिग्री तापमान से बेपरवाह होकर धरातल पर खूब मेहनत की। बड़े नेताओं ने भी तन मन और धन से सहयोग किया। टीम भावना से काम करते हुये पार्टी नेताओं ने बड़ी आसानी से सबसे पहले पार्टी समर्थित अधिक से अधिक प्रत्याशियों को जीत दिलाई। उसके बाद आसानी से जिप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद को हासिल कर लिया।
हालांकि बताया जाता है कि जिला परिषद के चुनाव संपन्न होने के साथ ही जिले में अपनी सरकार बनाने के लिये भाजपा एवं झामुमो दोनों ने गोलबंदी शुरू कर दी थी। जिला परिषद के नवनिर्वाचित सदस्यों को जोड़तोड़ कर अपने पाले में लाने के लिये दोनों दलों के नेताओं ने एड़ी चोटी एक कर दिया था।
मंत्री मिथिलेश के चक्रव्यूह को भेदने में असफल रहे भाजपाई
किंतु मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर की चतुराई और प्रदेश में झामुमो की सरकार होने से भाजपा का समीकरण पूरी तरह से बिगड़ गया। मंत्री मिथिलेश के चक्रव्यूह को भेदने की कोशिश में जुटे भाजपा के नेताओं की एक न चली। भाजपा के बयान बहादुर नेता मीडिया में सरकार और झामुमो पर जोड़ तोड़ करने का आरोप मढ़ते रहे। आंकड़ों के खेल में भाजपा पिछड़ गयी। जिले में सरकार बनाने का ख्वाब अधूरा रह गया।
इन सबके बीच चुपचाप अपने मिशन में जुटे झामुमो ने जिला फतह कर लिया। जिला परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद पर पार्टी का कब्जा हो गया। हालांकि झामुमो की इस बड़ी जीत में मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर के साथ साथ पार्टी के दिग्गज नेताओं में शुमार पूर्व विधायक अनंत प्रताप देव, ताहिर अंसारी, बीस सूत्री के जिला उपाध्यक्ष नितेश सिंह, भोजपुर गढ़ के दीपक प्रताप देव की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले जिला परिषद के चुनाव में भाजपा नेता गढ़वा के तत्कालीन विधायक सत्येन्द्र नाथ तिवारी ने पूरी ताकत के साथ जिला परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद पर भाजपा का कब्जा दिलाने में सफल हुये थे। किंतु इस बार के चुनाव में दिग्गजों की एक नहीं चली। परिस्थिति बदली और कुर्सी भी चली गई।