विशुनपुरा(गढ़वा)राजु सिंह
प्रखंड मुख्यालय सहित प्रखंड के आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार को भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक भैया दूज का पर्व श्रद्धा भाव से मनाया गया.
इस दौरान बहनों ने पारंपरिक रूप से पूजा-अर्चना कर भाई की लंबी आयु की प्रार्थना की.
महिलाओं ने गोबर से यम बनाकर दीप, कपूर, धतूर, अगरबत्ती पुष्प आदि अर्पित कर पूजा-अर्चना की गयी. प्रखंड के पुरानी बाजार, नई बाजार, पोखरा चौक, संध्या, कोचेया, पिपरी, जतपुरा, सरांग, चितरी सहित विभिन्न गांव में भाई दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बहनों ने गीत और सोहर गाकर भाई दूज के पर्व की महत्ता पर चर्चा की.
बहनों ने भाइयों के माथे पर मंगल तिलक लगाकर एवम प्रसाद खिलाकर उनकी लंबी उम्र की कामना किया.
रक्षाबंधन के बाद, भाईदूज ऐसा दूसरा त्योहार है. जो भाई बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है. इस दिन भाई को तिलक लगाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराने से परस्पर प्रेम बढ़ता ही है. भाई की उम्र भी लंबी होती है.
क्या है भाईदूज की मान्यता
भाईदूज के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार के लिए ऐसा माना जाता है. कि दीपावली के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज अपने बहन यमी के घर गए थे. यमराज की बहन यमी ने उनके माथे पर तिलक लगाकर सलामती की दुआ मांगी थी. इस पर यमराज ने अपनी बहन को हमेशा इस दिन उसके पास आने का वचन दिया. मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से माथे पर तिलक लगाता है. उसकी लंबी आयु होती है. एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर गए थे. कृष्ण की बहन सुभद्रा ने दिए जलाकर भाई का स्वागत किया था. और तिलक लगाकर लंबी उम्र की दुआ मांगी थी.
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