पटना/हिंदुस्तान की आवाज़
बिहार सरकार में नवनियुक्त कानून मंत्री कार्तिक कुमार सिंह उर्फ मास्टर साहब का विभाग बदल गया है। वह अब गन्ना विभाग के मंत्री बनाए गए हैं। राजद के एमएलसी कार्तिक कुमार सिंह मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह के खासम खास है। भूमिहार कोटा से उन्हें मंत्री बनाया गया था। कानून मंत्री बनते ही विपक्ष ने कानून मंत्री पर कानून तोड़ने के कई गंभीर आरोप लगा दिए जिसके बाद उनका विभाग बदल दिया गया है, पर अब सवाल उठ रहा है कि चावल घोटाले के आरोपी सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री के पद से कब हटाया जाएगा। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं। नीतीश सरकार में ही उन पर चावल घोटाले का आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज कराई गयी थी। इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। अब उन्हें ही प्रदेश का कृषि मंत्री बना दिया गया है। विपक्ष इस मामले को लेकर लगातार हमलावर है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधि मंत्री कार्तिक कुमार का विभाग बदल दिया है। अब उन्हें गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। विधि विभाग की जिम्मेदारी शमीद अहमद जो अब तक गन्ना उद्योग विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, उन्हें दी गई है। कैबिनेट सचिवालय ने यह अधिसूचना जारी कर दी है। इसी के साथ अब यह बहस छिड़ गई है कि जब कानून की नजरों में वांटेड कानून मंत्री कार्तिक कुमार का विभाग बदला जा सकता है तो, फिर चावल घोटाले के आरोपी कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का क्यों नहीं ? अगर कानून मंत्री से सरकार की प्रतिष्ठा जा रही थी तो चावल घोटाले के आरोपी सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाये जाने से नीतीश सरकार की कौन सी प्रतिष्ठा बढ़ रही है। बता दें, 5.32 करोड़ के चावल घोटाले के आरोपी सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाये जाने के बाद भाजपा ने नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया है। पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने सबूतों के साथ सीएम नीतीश पर हमला बोला था। साथ ही कृषि मंत्री को हटाने की मांग की थी। नीतीश कैबिनेट के वर्तमान कृषि मंत्री सुधाकर सिंह पर दो राइस मिल के माध्यम से 5 करोड़ 31 लाख 1 हजार 286 रू गबन की प्राथमिकी दर्ज है। नीतीश सरकार में एसएफसी के DM ने 27 नवंबर 2013 को रामगढ़ थाने में केस दर्ज किया था। भाजपा का कहना है कि जिस नेता पर घोटाले के इतने बड़े आरोप हों, उन्हें कृषि मंत्री बनाने के बाद सीएम नीतीश कुमार कटघरे में हैं। कैमूर के राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक(DM) दिनेश प्रसाद सिंह ने वर्तमान कृषि मंत्री सुधार सिंह के खिलाफ एक ही दिन घोटाले का केस दर्ज करने के लिए दो आवेदन दिया था। सुधाकर सिंह के दो राइस मिल के संचालक थे। दोनों राइस मिल पर धान के बाद चावल जमा नहीं करने का आरोप था। कैमूर के एसएफसी के जिला प्रबंधक दिनेश प्रसाद सिंह ने 27 नवंबर 2013 को सुधाकर राइस मिल के प्रोपराइटर सुधाकर सिंह के खिलाफ 3653 क्विंटल चावल जिसका मूल्य 6952134 रू का गबन करने के आरोप में रामगढ़ थाने में केस दर्ज कराया था। जिला प्रबंधक के आवेदन में कहा गया था कि सुधाकर राइस मिल के प्रोपराइटर सुधाकर सिंह के आवेदन पर राज्य खाद्य निगम कैमूर में इकरारनामा किया गया था। इस इकरारनामा के अनुसार सुधाकर सिंह द्वारा कुल 11900 क्विंटल धान का उठाव किया गया। जिसके बाद 6973 क्विंटल चावल भारतीय खाद्य निगम के गोदाम में जमा कराना था। लेकिन उन्होंने मात्र 4320 क्विंटल सीएमआर (चावल) एफसीआई के गोदाम में जमा किया.वहीं, इसी दिन वर्तमान कृषि मंत्री के दूसरे फर्म सोन वैली राइस मिल जिसके प्रोपराइटर भी सुधाकर सिंह थे। उनके द्वारा 24249 क्विंटल चावल जमा नहीं किया गया था। जिसके बाद राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक कैमूर ने गबन की प्राथमिकी रामगढ़ थाने में दर्ज किया था। जिला प्रबंधक के पत्र में कहा गया था कि सोन वैली राइस मिल के संचालक सुधाकर सिंह ने 24249 क्विंटल चावल जमा नहीं कर सरकार का 4 करोड़ 61 लाख 49 हजार 152 रूपया का गबन किया गया है। राइस मिल संचालक सुधाकर सिंह ने आपराधिक कृत्य किया है। राज्य सरकार की संपत्ति(धान) को इनके द्वारा बेचकर गबन किया गया। ऐसे में इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। बता दें, सुधाकर सिंह के खिलाफ दर्ज 5.31 करोड़ के गबन का केस न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम की अदालत में लंबित है।
इस मामले के खुलासे के बाद आरोपी कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने सफाई देते हुए कहा है सार्वजनिक जीवन में आरोप लगते रहते हैं। आरोप के पीछे जो तथ्य है उसको देखना चाहिए।
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