रमना(गढ़वा)/राहुल कुमार
रमना प्रखंड में जहां एक ओर प्राकृतिक आपदा के कारण किसान त्रस्त हैं, वहीं दूसरी ओर नीलगायों के उत्पात से भी किसान खेती छोड़ने को मजबूर हैं। रबी फसलों पर नीलगाय के कहर के कारण किसान व्यथित हो गये हैं। किसानों की मेहनत से लगायी गयी फसल को नीलगाय देखते ही देखते चट कर जा रहे हैं। किसानों की जहां पूंजी डूब जा रही है वहीं लिए गये कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।
खरीफ फसल के समय मानसून के दगा दे जाने के बाद में किसानों की फसल बर्बाद होने से कमर पहले ही टूट चुकी है। आंकड़ों के अनुसार रमना प्रखंड पहले ही सुखाड़ क्षेत्र घोषित हो चूकी है। रमना प्रखंड के किसानों का कहना है कि खरीफ फसल का उत्पादन नही हुआ है।अभी तक किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है। जैसे-तैसे किसान खरीप फसल की मार से निकलने के उपरांत रबी फसल की खेती की है परन्तु पूरे क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में नीलगायों का कहर रवि फसल पर इस टूट पड़ा है।खेत में लगी गेहूं,अरहर,चना,सरसों व सब्जी की फसल को नीलगाय नष्ट कर रहे है। इसके कारण किसानों के समक्ष भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
किसानों के अनुसार नीलगाय झुंड में निकलते हैं और खेत को निशाना बनाते हैं। वे पूरी फसल को चट कर जाते हैं। नीलगायों को समाप्त करने के लिए किसानों द्वारा बार-बार गुहार लगाये जाने के बाद भी सरकार एवं प्रशासन के स्तर पर अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी है।रोहिला के किसान राजेश कुमार सिंह,नंदू पाठक,मानपुर के हेमंत पाठक,कर्णपुरा के विरेन्द्र पांडेय,भागोडीह के धनंजय कुमार सिंह,मड़वनिया के रविन्द्र कुमार पाल,गम्हरिया के दिलिप कुमार सिंह आदि ने सरकार से नीलगाय को पकड़ने की व्यवस्था करने एवं किसानों को क्षतिपूर्ति देने की मांग की है।
-रमना प्रखंड के कई पंचायत है नीलगाय के चपेट मे-
मौसम की मार झेल रहे रमना प्रखंड के कई पंचायत नीलगाय के जद मे है।प्रखंड के हरादाग कला,भागोडीह,गम्हरिया,
सिलीदाग के पश्चिमि भाग,मड़वनिया,कर्णपुरा शामिल है ।इन इलाकों मे पिछले कई वर्षो से नीलगाय किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है।पहले इक्का-दुक्का नीलगाय खेतो मे पहुंचते थे लेकिन इनकी आबादी मे बढ़ोतरी के बाद रात के अंधेरो मे झुंड की झु़ंड नीलगाय खेतो मे पहुंच कर फसल को चट कर जा रहे है।
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