खुलेआम सड़क किनारे बेचे जा रहे संरक्षित पक्षी
खाने के शौकीन दे रहे मुंहमांगी कीमत
भवनाथपुर(गढ़वा)/जुल्फिकार
प्रतिबंधित जानवरों व दुर्लभ पक्षियों के संरक्षण की सारी कवायदें प्रखण्ड क्षेत्र में कोई मायने ही नहीं रखती है। खुलेआम संरक्षित पक्षियों का गोरखधंधा प्रखंड क्षेत्र में जोरो पर है। पक्षी खाने के शौकीनों द्वारा मुंहमांगी कीमत मिलने से पक्षियों के शिकार में लोग बगैर डर कर बाजारों में पक्षियों को बेच रहे हैं। जिससे इनके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। पहले ही कई पक्षी और जानवर विलुप्त हो गए हैं। जिसके कारण कई गंभीर समस्या सामने आने लगी है। प्रखण्ड क्षेत्र के बाजार में रोड किनारे धड़ल्ले से लालसर, बटेर, हारिल, तीतर, बगेरी, आदि संरक्षित पक्षियों का सौदा हो रहा है। पक्षियों के तस्कर शिकार कर इन दुर्लभ पक्षियों की तस्करी कर रहे हैं, और शौकीन लोगों से इनके मांस की मुंहमांगी कीमत वसूल कर रहे हैं। पक्षियों का शिकार शिकारी प्रखण्ड क्षेत्र के टाउनशिप डैम, जंगलों सहित क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर कर भवनाथपुर के कर्पूरी चौक, केतार मोड़ के आसपास में खुलेआम सड़क किनारे बैठ कर बेच रहे है। वहीं प्रतिबंधित जानवरों के शिकार दुधमनियाँ जंगल, बहेरवाखाड़ी, चेपली के जंगल, बरवारी सहित अन्य जगह जंगलों में शिकारी द्वारा जाल बिछा किया जा रहा है। चोरी छिपे ऊंचे दामों में बेच देते हैं। इन जगहों पर कई बार जाल बिछाया हुआ, सुअर का मांस, जाल में फंस कर मृत लकडबाघा, बरामद किया गया है। बावजूद वन विभाग द्वारा कोई कारवाई नही करने से शिकारियों का हौसला बुलंद हैं।
*ठंड में बढ़ती है डिमांड*
पक्षीयों के मांस की डिमांड ठंड के दिनों में काफी बढ़ जाती है। क्योंकि माना जाता है कि इन पक्षियों का मांस बेहद गर्म होता है। जो अस्थमा, दमा व सांस की बीमारी आदि में बेहद फायदेमंद बताया जाता है। जबकि शौकीन अपने शौक से भी इनका मांस खा रहे हैं। ठंड शुरू होते ही पक्षियों की डिमांड होने लगती है। ऐसे में शिकारी लालसर, बटेर, हारिल, तीतर, बगेरी जैसे पक्षियों को आसानी से उपलब्ध करा देते हैं। इन पक्षियों के दाम की बात की जाए तो कीमत दो सौ रुपए से लेकर पांच सौ रुपए तक होती है।
*क्या कहते हैं वन विभाग के अधिकारी*
इस संबंध में पूछे जाने पर रेंजर प्रमोद कुमार ठाकुर ने कहा कि हमलोगों की इसकी जानकारी नही है कि लोग प्रतिबंधित पक्षियों के शिकार कर रहे हैं। चिन्हित कर के कारवाई करेंगे।
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