विसुनपुरा: ईंट भट्ठा संचालक करा रहे बाल मजदूरी, प्रशासन मौन

विशुनपुरा(गढ़वा)/राजु सिंह
चंद पैसों की लालच में चिमनी ईट भठ्ठा संचालक बाल मजदूरों से कार्य करा रहे हैं। जबकि खुलेआम हो रहे इस कार्य में प्रशासन मौन बना हुआ है।
बाल श्रम कराना एक अपराध माना जाता है। लेकिन विशुनपुरा प्रखंड क्षेत्र के अमहर गांव के पचाफेडी टोला स्थित बाकी नदी किनारे चिमनी ईंट भट्ठा संचालक चंद रुपयो की लालच में खुलेआम इस अपराध में संलिप्त हैं. बालश्रम कानून को ठेंगा दिखाते हुए यहां बच्चों से कच्चे ईंट की पथाई ढुलाई समेत कई अन्य कार्य करा रहे हैं. पदाधिकारियो की कारवायी नही करने के कारण इट भट्ठा माफिया इस कार्य मे धड़ल्ले से लगे हुए है.

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गुरुवार को अमहर गांव के बाकी नदी किनारे 501 मार्का चिमनी ईट भट्ठा पर दर्जनों बाल मजदूरों को कार्य करते देखा गया. इस भट्ठे पर अलग-अलग हिस्सों पर बड़े मजदूरों के साथ बाल मजदूर भी कार्य कर रहे थे. बताया जाता है कि ईंट भट्टों की जांच के नाम पर जिम्मेदार पदाधिकारी सिर्फ चाय-पानी की दुकानों पर छापामारी कर कर्तव्यों से इतिश्री कर ले रहा है.

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सबसे बड़ी बात है कि इस भट्ठे कि 50 फिट की दूरी पर नव प्राथमिक विद्यालय है. संचालित भट्ठे से निकलने वाली ट्रेक्टर एवम मजदूरों की आवाज से विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे काफी असहज महसूस करते है.
शिक्षण कार्य मे भी काफी परेशानी होती है.

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प्रखंड क्षेत्र में कयी ईंट-भट्ठे संचालित हैं. यहां कयी भट्ठों पर दूसरे प्रदेश से श्रमिक ईंट की पथाई का कार्य करने के लिए आते हैं. भट्ठों पर ही झ़ुग्गी झोपड़ी बनाकर श्रमिक परिवार जीवनयापन कर रहा है. इनके छोटे बच्चे भट्ठा संचालकों के लिए सस्ते मजदूर हैं. भट्ठे पर ईट पथाई, कच्चे ईंट की ढुलाई बच्चों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने, कोयला तोड़ने आदि काम में बाल श्रमिकों को लगाया जाता है. सामान्य दिहाड़ी से आधे रेट में इन्हे भुगतान मिलता है. बालश्रम में फंसकर यह बच्चे स्कूल का मुंह नही देख पाते हैं. और बड़े होकर भट्ठों पर ईंट पथाई समेत अन्य परंपरागत कार्य में जुट जाते हैं. बालश्रम पर अंकुश लगाने के लिए छापामारी सिर्फ प्रखंड क्षेत्र के चौक-चौराहों पर चल रहे चाय-पानी की दुकानों तक सीमित है. ठोस कार्रवाई न होने से सस्ते मजदूर के तौर पर पढ़ने-लिखने की उम्र में ईंट-भट्ठों पर बचपन घुट रहा है.

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501 मार्का चिमनी ईट भट्ठा गढ़वा निवासी निवासी सुनील मेहता का है. यहां करीब 50 बच्चे हैं. ईट भट्ठा पर पढ़ाई लिखाई की कोई व्यवस्था नहीं है. मजदूर गरीबी से इतना विवश है कि पेट भरने के लिए बच्चों के साथ इस ईट भट्ठा पर काम करने आते हैं.

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इस सम्बंध में पूछे जाने पर श्रम अधीक्षक एतवारी महतो ने बताया कि जांच कर भट्ठा संचालक पर कानूनी कारवायी कि जाएगी.

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