भवनाथपुर(गढ़वा)। झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ गढ़वा इकाई ने विधायक भानू प्रताप शाही को मांग पत्र सौंपा। झारखंड राज्य में कार्यरत मनरेगा कर्मियों के लंबित मांगो की पूर्ति के लिए तीन सूत्री मांग पत्र सौंपा। मनरेगा कर्मियों ने बताया कि हम सभी झारखंड राज्य के मनरेगा कर्मी सरकार के महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम अंतर्गत ग्राम रोजगार सेवक, लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता व प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारी के पद पर वर्ष 2007 से निष्ठा पूर्वक काम कर रहे हैं। हमारी नियुक्ति सरकारी प्रयोजनों व पूर्ण वैधानिक प्रक्रिया से आरक्षण रोस्टर का पालन कर मेघा सूची के आधार पर हुई है। अपने जीवन का अति महत्वपूर्ण समय मनरेगा एक्ट के क्रियान्वयन और गरीब जनता को सरकार के निर्देशानुसार रोजगार देने में बिता दिया। 15 वर्षो के बाद अब जीवन का ऐसा मोड़ आ गया की नौकरी के अतिरिक्त परिवारिक जिम्मेदारीयों, बुजुर्ग माता-पिता, बच्चे और अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। 15 वर्षों बाद भी मनरेगा कर्मियों को न तो नियमित बेतन मिला है न ही स्थायी पद दिया गया है। झारखंड राज्य मनरेगा कर्मी संघ के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में 27 जुलाई 2020 से 10 सितंबर 2020 तक के हड़ताल के दौरान सरकार के द्वारा मांग को डेढ महीने में पूरा करने आश्वाशन दिया गया था, लेकिन अभी तक पूरा नही हुआ। जिससे हम सभी मनरेगा कर्मी ठगे हुए महसूस कर रहे हैं। साथ ही निराश और बगावत की सुर भी बुलंद होने लगा है। जो आने वाले समय मे आंदोलन का रूप ले सकता है। विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा की आपकी मांगे जायजा है। हम आपकी मांगों को विधानसभा में उठाएंगे। कहां की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की करनी और कथनी में बहुत ही अंतर है। मांग पत्र में 2020 में बर्खास्त किए गए मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडेय और धनबाद जिला के अध्यक्ष मुकेश राम को पुनः बहाल किया जाए, झारखंड राज्य में कार्यरत सभी मनरेगा कर्मियों को सेवा को स्थाई किया जाए सहित अन्य मांगे है। इस मौके पर अध्यक्ष बसंत सिंह, सचिव अभिमन्यु तिवारी, रोहित शुक्ला, बीरेंद्र प्रसाद यादव, राजकुमार प्रजापति, संतोष कुमार यादव, ज्ञानरंजन चतुर्वेदी डिम्पल कुमार, जयराम पासवान, दयानंद प्रजापती, आलोक राज, मनोज कुमार, सुनील कुमार राम, तहमीद अंसारी सहित अन्य उपस्थित थे।
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